कहाँ लेजाते हो जगन्नाथ को?
कहाँ लेजाते हो जगन्नाथ को?
हम दर्शन करेंगे किनको?
खुंटिया बोले जब ।
पहंडी में निकलें तब ।
विजे कीजे प्रभु चाप पर अब ॥
कहाँ लेजाते हो जगन्नाथ को?
हम दर्शन करेंगे किनको?
कुलवधू विरह वेदना में गरजें ।
पंडा सब भूमिपर लोटें तरसें ।
विधाता बाम हुए क्या ओडिशा सों ॥
कहाँ लेजाते हो जगन्नाथ को?
हम दर्शन करेंगे किनको?
बड़े देउल से निकल कर ।
सकट रथ पर विजे कर ।
रेणु जो गिरता होगा श्रीमुख पर ॥
कहाँ लेजाते हो जगन्नाथ को?
हम दर्शन करेंगे किनको?
कहत स्वामी कृष्णानन्द ।
धिक्कार हमारे जीवन मन्द ।
निर्माल्य हो तो आनन्द कन्द ॥
कहाँ लेजाते हो जगन्नाथ को?
हम दर्शन करेंगे किनको?
स्वामी कृष्णानन्द
रचना – ३० जुलाई २०१४ ॥
© २०१४, सर्वाधिकारसुरक्षित ।
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