Saturday, August 16, 2014

कहाँ लेजाते हो जगन्नाथ को


Kahan Le Jate Ho Jagannath Ko

कहाँ लेजाते हो जगन्नाथ को?


कहाँ लेजाते हो जगन्नाथ को?
हम दर्शन करेंगे किनको?

खुंटिया बोले जब ।
पहंडी में निकलें तब ।
विजे कीजे प्रभु चाप पर अब ॥

कहाँ लेजाते हो जगन्नाथ को?
हम दर्शन करेंगे किनको?

कुलवधू विरह वेदना में गरजें ।
पंडा सब भूमिपर लोटें तरसें ।
विधाता बाम हुए क्या ओडिशा सों ॥

कहाँ लेजाते हो जगन्नाथ को?
हम दर्शन करेंगे किनको?

बड़े देउल से निकल कर ।
सकट रथ पर विजे कर ।
रेणु जो गिरता होगा श्रीमुख पर ॥

कहाँ लेजाते हो जगन्नाथ को?
हम दर्शन करेंगे किनको?

कहत स्वामी कृष्णानन्द ।
धिक्कार हमारे जीवन मन्द ।
निर्माल्य हो तो आनन्द कन्द ॥

कहाँ लेजाते हो जगन्नाथ को?
हम दर्शन करेंगे किनको?

स्वामी कृष्णानन्द

रचना – ३० जुलाई २०१४ ॥

© २०१४, सर्वाधिकारसुरक्षित ।

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