Friday, August 15, 2014

शुकदेव आविर्भावोत्सव


Sri Sukdev Avataran

शुकदेव आविर्भावोत्सव


तात मात करें रोदन ।

चारों और से लौटकर
पूछ-पूछ कर
कि कहाँ गये हमारे
एकनन्दन ॥

पिता बीजामृत न गवाँकर
माता प्रसवकाल दुःख न पाकर
गर्भसे पतित हो चले किस पथ पर
भये ब्रह्मज्ञ कुछ विद्या न पाकर ॥

जन्म से ही क्षुधा तृष्णा नहीं
उदर भरा है कुछ खाया नहीं
तेल और कुंकुम अंग लगे नहीं
सुवर्ण देह आभा लौकिक नहीं ॥

अनुमान करे सम्पूर्ण संसार
रो-रो कर अविवेक विचार
पुत्र वदन न देखकर
तात मात साथ स्वामी कृष्णानन्द करें रोदन ॥

स्वामी कृष्णानन्द

रचना – ३० जुलाई २०१४ ॥

© २०१४, सर्वाधिकारसुरक्षित ।

2 comments:

  1. aapki kavita padkar ropada mera mann
    jhaakun toh kahan, taakun toh kahaan
    puchun toh kahan, roojhun toh kahan
    Bas mann us khayaal mein rahta hai
    Kab aapko phir se dekh pauun

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