पकडो श्रीगुरु पाद हे
भाग्यमें है तो पकडो पकडो पद्मपाद हे ।
सौभाग्य हो तो पकडो जकडो श्रीगुरु पाद हे ॥
पकडे रहो श्रीगुरु के जुगल पद्मपाद ।
खंडन होंगे सब कालविपत्ति प्रमाद ।
भाग्यमें हो तो पकडो जकडो श्रीपाद हे ॥
किया है जब दोष बखानो श्रीगुरु पास ।
छेदन हो निर्वृत्ति अपराधों से आस ।
भाग्यमें हो तो पकडो जकडो श्रीपाद हे ॥
पाप जलेंगे ब्रह्म में ख्याति अलेख धर्म में ।
सम्पूर्ण निर्वेद हो लगो सात्विक कर्म में ।
भाग्यमें हो तो पकडो जकडो श्रीपाद हे ॥
सत्य है यह पथ मनमें अप्रत्यय न कर ।
अथवा पस्चात् में होगा प्रमाद का असर ।
भाग्यमें हो तो पकडो जकडो श्रीपाद हे ॥
ॐ-कार परम पद पियो मकरन्द मधु ।
बोले स्वामी कृष्णानन्द अति ही स्वादु ।
भाग्यमें हो तो पकडो जकडो श्रीपाद हे ॥
भाग्यमें है तो पकडो पकडो पद्मपाद हे ।
सौभाग्य हो तो पकडो जकडो श्रीपाद हे ॥
स्वामी कृष्णानन्द
रचना – ३० जुलाई २०१४ ॥
© २०१४, सर्वाधिकारसुरक्षित ।
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